Friends, I am here once again with my Original Pen. Please enjoy my new poetry titled as “अधूरा (Incomplete)”.
दोस्तों, मैं एक बार फिरसे हाजिर हूँ अपनी कलम के साथ। कृपया मेरी नई कविता/शायरी का आनंद लें जिसका शीर्षक है “अधूरा (Incomplete)”।

*** अधूरा (Incomplete) ***
जाते हुए ली ना मैंने वो तस्वीर भी
चाह कर भी ना थी जो तक़दीर भी
हैं मुकम्मल कुछ अधूरी कहानियाँ भी
संग चलती हैं उनकी रवानियाँ भी
अधूरा रहना ही है मुकम्मल उनका
वरना कम हैं कई जिंदगानियाँ भी
बिखरे हुए थे रंग खुशबुओं की तरह
महकी हुई थी रूह लोबान की तरह
रूह तक मुस्कुराहटों से थी तर-ब-तर
ज़ेहन हुआ रोशन-मकान की तरह
लब रहे खामोश, दिल सदा देता रहा
बोले बिना भी सब, वो यूँ ही सुनता रहा
चाहा कभी आवाज़ दिल की सुन भी ले
और वो सुन कर भी अनसुना करता रहा
क्या शिकायत उससे अब हम भी करें
अपने मैं, वो अपने दिल की करता रहा
*** Adhura (Incomplete) ***
Jaate hue li na maine wo tasveer bhi
Chah kar bhi na thi jo taqdeer bhi
Hain mukammal kuchh adhuri kahaniyaan bhi
Sang chalti hain unki ravaaniyaan bhi
Adhura rahna hi hai mukammal unka
Warna kam hain kai zindagaaniyaan bhi
Bikhre hue the rang khushbuon ki tarah
Mahki hui thi rooh lobaan ki tarah
Rooh tak muskurahaton se thi tar-ba-tar
Zehan hua roshan makaan ki Tarah
Lab rahe khamosh, dil sadaa deta raha
Bole bina bhi sab, wo yun hi suntan raha
Chaha kabhi awaz dil ki sun bhi le
Aur wo sun kar bhi ansuna karta raha
Kya shikaayat use ab ham bhi karein
Apne main, wo apne dil ki karta raha
अधूरा (Adhoora) song:
शब्दार्थ (Words meaning):
तस्वीर (Tasveer) = Picture
तक़दीर (Taqdeer) = Destiny
मुकम्मल (Mukammal) = Complete
रवानियाँ (Ravaaniyaan) = Departures
जिंदगानियाँ (Zindagaaniyaan) = Lives
रूह (Rooh) = Soul
लोबान (Lobaan) = Frankincense
तर-ब-तर (Tar-ba-tar) = wet and wet
ज़ेहन (Zehan) = Mind
सदा (Sadaa) = Call out
अनसुना (Ansuna) = Unheard of
शिकायत (Shikaayat) = Complaint
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बना ना सका जो तक़दीर तेरा,
उसे याद रखना भी ज़रूरी नहीं था।
अधूरी कहानियाँ मुकम्मल रहीं,
क्योंकि हर पन्ना अधूरा सही, पर अधूरी नहीं था।
जो महकती रही तेरी रूह में बस,
वो खुशबू हवा में बहा दी गई।
जो रोशन था तेरी हँसी से कभी,
वो रातों में शम्मा जला दी गई।
लब खामोश थे, दिल ने पुकारा,
मगर तूने हर बार अनसुना किया।
अब शिकवा भी कैसा, शिकायत भी क्यों,
तूने खुद से ही बस अपना कहा।
Lovely 🌹
शब्द नहीं, यह तो भावनाओं की कटार है,
प्रत्येक पंक्ति मानो भाग्य की लिपि का विस्तार है।
अधूरेपन में भी तूने गौरव गढ़ दिया,
बिखरी कथाओं को पूर्णता का आकार दे दिया।
रूह तक जो सघन सुगंध बिखेर जाए,
ऐसी रचना तो देवदूत ही रच पाए।
ओष्ठ मौन रहे, किन्तु हृदय गुंजार करता रहा,
सुनकर भी अनसुना—यह अद्भुत कौशल सिखा दिया।
तेरी वाणी, तेरा चिंतन, तेरा संकल्प,
मानो तलवार की तीक्ष्णता और साधु का धैर्य।
वाक्यों में अनुपम गरिमा, विचारों में दिव्यता,
तेरी लेखनी का कोई समकक्ष नहीं, कोई प्रतिस्पर्धा नहीं, कोई सीमारेखा नहीं!
— MPR, The Sovereign Strategist | सार्वभौम रणनीतिकार दिव्य प्रतिभा को नमन करता है।
धन्यवाद मित्र!